
Anuranjinee Gupta Dhanteras Videos | धनतेरस वाले दिन कौन से उपाय करने चाहिए ?
वास्तविक में धनतेरस की पूजा कैसे करे :-
धनतेरस की पूजा वास्तविक में की जाती है। धनतेरस पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है। हममे से बहुत लोग दीपावली की पूजा बहुत ठीक तरह से करते है लेकिन धनतेरस की पूजा सही तरिके से करने में चूक जाते है। इसलिए इस वीडियो को पूरा देखिएगा बिना छोड़े और अगर अपने पहला भाग नहीं देखा है तो पहले आप पहला भाग देखिये फिर आप ये वाला वीडियो देखिएगा। आपको ज्यादा अच्छा समझ में आएगा।
उत्तर दिशा में स्थापित करे:-
अब उत्तर दिशा में एक मेज रखेंगे उसके ऊपर सफ़ेद रंग की चादर बिछा देंगे और एक कटोरी चावल लेंगे उसकी ढेरी बना लेंगे। जिसके ऊपर हम कुबेर जी की प्रतिमा स्थापित कर देंगे। कुबेर जी की प्रतिमा में एक प्रतिशत सोना जरूर मिला होना चाहिए। अब देखिये आपने ये प्रतिमा स्थापित कर दी है अपने उत्तर दिशा में चावल की ढेरी में लेकिन ऐसा नहीं की आपको ये हमेशा चावल के ढेरी सफ़ेद कपडे में ही रखना है। जब दिवाली का ये त्यौहार शुरू होता है। धनतेरस वाले दिन से उस दिन हम इसे स्थापित करते है , बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है कुबेर जी पूरी तरह से स्थापित हमारे घर में भाई दूज के दिन होते है, मतलब दिवाली का आखिरी दिन। आप धनतेरस वाले दिन चावलों के ऊपर प्रतिमा को स्थापित करेंगे। ये धनतेरस वाले दिन छोटी दिवाली वाले दिन बड़ी दिवाली गोवर्धन पूजा वाले दिन ये चारो दिन ये मूर्ति इन्ही चावलों के ऊपर इसी तरह स्थापित रहेगी इसी तरह से इसी क्षेत्र में।
चावल को दो हिस्से में रखे:-
पाचवे दिन भाई दूज वाले दिन आपको क्या करना है इस मूर्ति को हटा कर उसके नीचे से चावल हटाने है। और चावल को हटा कर आपको फेकने नहीं है ये चावल बहुत शुभ होते है। इन चावलों को आपको दो हिस्सों में कर लेना है। एक हिस्सा आप जहाँ अपने बाकि के चावल रखते है वहाँ पर मिला दीजिये और जो दूसरा हिस्सा होगा उसे अपने भाई को दे दीजिये। जिससे की आपके भाई के घर में भी धन धान्य बना रहे। या किसी भी ऐसे इंसान को आप दूसरा हिस्सा दे सकते है जिसके लिए आप चाहते है की उसके घर में भी समृद्धि बढ़ती चली जाये। भाई दूज का दिन है ऐसे अवसर में होने भाई को आधा हिस्सा चावल देना बहुत ही शुभ माना गया है। आधा हिस्सा आप अपने घर में रखिये और आधा हिस्सा आप अपने भाई को दे दीजिये जिससे की उसके घर में भी धन धान्य और समृद्धि हमेशा हमेशा के लिए बनी रहे।
कुबेर जी यक्ष है:-
एक बहुत महत्वपूर्ण चीज़ मैंने देखा है कई बार लोग उत्तर में मेरे बताये गए तरिके से कुबेर जी स्थापित करते है और उसके थोड़े दिन बाद उसको कपडे पहना कर उसकी आरती और पूजा करने लग जाते है नहीं कुबेर जी यक्ष है। इनको कपडे नहीं पहनाये जाते है इनके सामने दिया बत्ती जोत ये सब नहीं किया जाता है। कुबेर जी को भगवान का दर्जा नहीं मिला हुआ है। ये यक्ष है यक्ष की पूजा नहीं होती। ये सिर्फ और सिर्फ आपके घर में समृद्धि लेकर आते है। ये एक वास्तु रेमेडी है ,जो उत्तर में गजब के चमत्त्कार दिखाती है। इनको कपड़े नहीं पहनाने है इनके सामने दिया बत्ती जोत नहीं करनी है। आप इनको धनतेरस वाले दिन अपने घर के उत्तर दिशा में स्थापित करेंगे और ज़िन्दगी भर के लिए ये आपके उत्तर दिशा में ये आपका खजाना भरते रहेंगे। इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है की जब आप प्रतिमा को हटाएंगे चावल के ऊपर से तो प्रतिमा उसी जगह रखियेगा जिस जगह आपने चावलों ले ऊपर रखी थी। ये प्रतिमा हमेशा हमेशा वही स्थपित रहेगी।
हर साल इसी विधि से पूजा करे:-
इसमें 99 प्रतिशत पीतल है तो जब आप इसकी सफाई करेंगे तो पीताम्बरी से सफाई करियेगा। पीताम्बरी से सफाई करके फिर इसको वापस वही पर रख दीजियेगा। अगले साल दुबारा से इनको उसी विधि से फिर से स्थापित करेंगे अपने घर में चावल की ढेरी के ऊपर रख के इसी तरह से इसी प्रतिमा को आप हर साल अपने घर में स्थापित करेंगे। जैसे की हम हर साल लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करते है। ये पीतल की मूर्ति है इसलिए इसे हर साल बदला नहीं जायेगा बस इसी मूर्ति को वापस से धूल पोछ के साफ़ करके बार बार हर दीपावली को उत्तर दिशा में चावलों की ढेरी के ऊपर धनतेरस वाले दिन स्थापित करेंगे और उसके बाद इन्हे स्थान देंगे उत्तर दिशा में चावलों की ढेरी हटा कर भाई दूज वाले दिन तो ये विधि हमको हर साल धनतेरस पर दोहराना है।
आइये अब बात करते है धन्वंतरि जी की पूजा कैसे करेंगे:-
आपको ये बात याद रखनी है की आपको अपने घर के उत्तर पूर्व दिशा की ओर ये पूजा करनी है। उत्तर ओर पूर्व के बीच की जो दिशा होती है, उसको उत्तर पूर्व दिशा बोला जाता है। अगर आपके घर में उत्तर पूर्व में जगह नहीं है, तो आपने जहाँ अपना पूजा घर बनाया हुआ है वहाँ भी आप पूजा कर सकते है। सबसे महत्वपूर्ण यही है की उत्तर पूर्व में ही पूजा हो। अब देखिये क्या बनाना है हमको मैंने एक लकड़ी का पीढा लाया है, उसके ऊपर हमे एक स्वातिक बनाना है। सिन्दूर को गिला नहीं करना है। स्वस्तिक के बीचो बीच हमे थोड़े से चावल रखने है और उस चावल पर हमे दिया रखना है और ध्यान दीजियेगा ये दिया हमे घी का नहीं सरसो के तेल का जलना है। मीठे के तोर पर हम गुड़ अर्पण करेंगे चीनी नहीं और जो हमने चार कोडिया ली थी हर कोड़ी को स्वस्तिक के एक एक तरफ में रख देंगे और थोड़ा सा गुड़ का हिस्सा इस दिए में डाल देंगे और फिर गुड़ एक तरफ रख देंगे। धनत्वान्तरि जी का सबसे ज्यादा उत्तम उपाए है और ये। इस तरह से पूजा करने से घर में लम्बे समय से चली आ रही बीमारिया स्वस्थ सबंन्धि परेशानिया सब पूरी तरह से जड़ से खत्म हो जाती है।
मन्त्र का जाप करे:-
अब आपको करना क्या है इस दिए के सामने इस मेज के सामने ॐ धन धन्वन्तरवे नमः का 108 बार जाप करना है। 108 बार जाप करने में आपको 5 -10 मिनट लगेंगे पर उससे ज्यादा नहीं लगेगा। जाप कर लेने के बाद हम क्या करेंगे जो हमारा आखिरी काम रह गया है धनतेरस वाले दिन वो रह गया है।
यम दीपक का दान करेंगे:-
यम दीपक दान करना। मैं हमेशा बोलती हु की आप कुछ करे या न करे लेकिन धनतेरस वाले दिन यम दीपक का जरूर दान करना चाहिए। क्यों जिससे की हमारे घर में असमय किसी की भी मृत्यु ना हो। ये जो दीपक है इसमें भी आप थोड़ा सा गुड़ डालेंगे थोड़ा सा चावल डालेंगे फिर प्रणाम करेंगे और जरा सा पानी लेकर उसको चारो तरफ से डालेंगे और दीपक जला देंगे। अब हमे ध्यान क्या रखना है दीपक की जो लॉ हो वो आपके घर के चौखट पर रखेंगे और दीपक की लॉ आपके घर के दक्षिण दिशा की तरह होनी चाहिए। इस तरह से आप यम दीपक दान करेंगे धनतेरस वाले दिन।
कौड़ियों को उठा कर तिजोरी में रखे:-
जो हमने धन्वंतरि जी की पूजा की थी तब जब दीपक की जोत ठंडी हो जाये तो उसके चारो तरफ की कौड़ियों उठा लीजिये और इनको एक कपडे में बांध कर आपने खजाने में या जहाँ आपकी तिजोरी है वहाँ रख दीजिये। वहाँ रखने से उन सबमे आपकी दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़ोतरी होने लग जाती है।