
Anuranjinee Gupta | दीपावली पूजा विधि
आज दीपावली के दिन जब हम लक्ष्मी जी की पूजा करते है तो कुबेर जी को उनके साथ बिठाते है। जहाँ आपने स्थापित की थी कुबेर जी की प्रतिमा वह से उठाकर आप पूजा के स्थान में रखेंगे। पूजा खत्म हो जाने के बाद कुबेर जी को वापस से उनकी जगह उत्तर में रख देंगे। उत्तर में कुबेर जी को बैठा देंगे और उनका मुख दक्षिण की तरफ कर देंगे। लक्ष्मी जी की पूजा हमेशा दक्षिण पूर्व में की जाती है हम आम तौर पर बोलते है की मंदिर जो होता है वो हमेशा उत्तर में होता है लेकिन लक्ष्मी पूजन दक्षिण पूर्व में किया जाता है। लक्ष्मी जी का स्थान जो है वो दक्षिण पूर्व है।
आइये चलते है पूजा की विधि की तरफ की कैसे पूजा करनी है-
इसके लिए हम लेंगे एक लाल कपडा और पांच दिए जो घी के या तिल के तेल के भी दिए जला सकते है। उसके बाद पांच तरह के फल माँ लक्ष्मी जी को पहनाने के लिए लाल वस्त्र और गणेश जी को पहनाने के लिए पीले वस्त्र क्योकि माँ लक्ष्मी जी का पसंदीदा रंग है लाल और गणेश जी का पसंदीदा रंग है पीला। अब इस पूरी थाली में हमने वो वो सामान रखा है जो सामान काम आने वाला है लक्ष्मी पूजन में काम आने वाला है। ऐसा नहीं है की सारी चीज़े होनी चाहिए। जो भी चीज़े आपको सुविधा अनुसार उपलब्ध हो आपने आस पास वो चीज़े आप इस्तेमाल कर सकते है।
https://www.youtube.com/watch?v=BqTyxmFae2c
आइये जानते है कुछ सामग्री के बारे में-
ये है लाल गुन्दा, नाग केसर ये आपकी कौड़िया इसके बाद ये है कमल गट्टा लक्ष्मी जो को बहुत प्रिय है। ये छोटा नारियल लघु नारियल के नाम से जाना जाता है। ये हल्दी की गांठ उसके बाद दक्षिणा वर्ती शंख है ऐसा नहीं की आपको ये चाहिए ही चाहिए अगर आपको मिलता है तो बहुत अच्छी बात है नहीं तो कोई बात नहीं हैं। जैसे ये गोमती चक्र हो गए उसके बाद ये पांच रत्न हो गए। काली कोड़ी इसको लक्ष्मी कोड़ी भी कहा जाता है ये लक्ष्मी जी को बहुत प्रिय है। ये मोती शंख है। उसके बाद यहाँ पर ये सूखा धनिया बिना पीसा हुआ। ये मँजीठी और ये अंत में काली हल्दी तो ये सारे सामना हम लक्ष्मी पूजन में प्रयोग में लेकर आएंगे।
फूल चढ़ाये और भोग लगए-
अब लेंगे गुलाबो की माला ले सकते है फिर कोई भी लाल रंग का फूल जैसे कमल की फूल माला मिले तो बहुत अच्छा है। लाल रंग का फूल चढ़ाते है हम लक्ष्मी जी को और पीले रंग का फूल चढ़ाते है हम गणेश जी को। उसके बाद हम एक कटोरी में चंद्रामिरत और दूसरी कटोरी में हम गंगाजल रख लेते है। दीपावली वाली वाले दिन कुछ भी थोड़ा सा भी मीठा बनाये अपने हाथो से बनाये जरूर शुद्धता से बनाये खीर या हलवा जो भी बनाये उसमे केसर जरूर डाले। क्योकि केसर लक्ष्मी जी को अतिप्रिय है।
पूजन विधि-
एक लकड़ी का पीढ़ा या मेज ले उसके ऊपर लाल रंग का वस्त्र बिछा ले अब इस लाल वस्त्र पर हम लक्ष्मी जी और गणेश जी को विराजमान करेंगे। पहले विघ्नहर्ता गणेश जी को स्थान दिया जायेगा फिर उसके बाद माँ लक्ष्मी जी को स्थान दिया जायेगा। फिर लक्ष्मी और गणेश जी का शृंगार करेंगे। अगर आप व्यापार करते है तो जो चीज़ अपने व्यापार के लिए इस्तेमाल करते है जैसे कुछ लोग कॉपी का इस्तेमाल करते है अपना पूरा खाता वगैरा लिखने के लिए। जो ग्रहणी होती है वो अपना हिसाब किताब जिसमे करती है वो रख सकती है। आपके व्यापार में आपका लैपटॉप मोबाइल कैलकुलेटर जो भी हिसाब किताब में काम आता है उसको आप यहाँ जरूर रखिये। क्योकि लक्ष्मी माँ अधूरी है बिना सरस्वती माँ के। अब चावल की ढेरी बनायेगे और इस चावल की ढेरी के ऊपर एक पानी से भरा हुआ कलश रखेंगे। इस पानी से भरे हुए कलश के अंदर थोड़ा सा अक्षत मतलब चावल डालेंगे और पानी से भरे हुए कलश पर हम एक स्वस्तिक बनायेगे। कलश के चारो तरफ आम के पत्ते रखेंगे और फिर नारियल रखेंगे। जैसा की मैंने कहा था लक्ष्मी पूजन करते वक़्त कुबेर जी वहाँ होने चाहिए। उसके बाद हम गणेश जी, लक्ष्मी माँ और कुबेर जी को गंगाजल से स्नान करवाएंगे उसके बाद उनके माथे पर रोली चन्दन का टिका लगाएंगे और उनका स्वागत करेंगे। कुबेर जी की पूजा पुरे साल नहीं होती है कभी नहीं होती है क्योकि ये यक्ष है और ये आपके घर के उत्तर में वास्तु रेमेडी के तौर पर रखे जाते है। लेकिन जब हम लक्ष्मी पूजन करते है तो सिर्फ और सिर्फ एक बार लक्ष्मी पूजन के वक़्त कुबेर जी को भी रखते है। साथ में हम नारियल को भी तिलक करते है। अब लक्ष्मी गणेश जी का फूल माला से स्वागत करेंगे और लक्ष्मी माँ को अपना सबसे प्रिय गहना पहनने के लिए चढ़ाएंगे। इसके बाद हम माँ लक्ष्मी जी को इत्र लगाएंगे। गणेश जी और माँ लक्ष्मी जी को भोजन के लिए फल देंगे। अपने हाथ का बना हुआ कुछ भी मीठा खिलायेगे। अब सबसे पहले गणेश जी की आरती करेंगे। गणेश जी की आरती के बाद लक्ष्मी पूजन की तरफ चलते है। इसके लिए हमे चाहिए एक छोटा सा हवन कुंड उसमे रेत डालेंगे और फिर गाये का उपला रखेंगे और फिर कपूर में ज्योति जलायेगे। इस पवित्र अग्नि में एक एक करके हम वो सब चीज़े चढ़ाएंगे जो हम माँ लक्ष्मी जी को अर्पण करना चाहते है। अग्नि साक्षात रूप है माँ लक्ष्मी जी का तो अब हम इसमें सबसे पहले लाल गुन्दा मँजीठी साबुत धनिया नाग केसर काली हल्दी पीली हल्दी कमल गट्टे ये सब चीज़े हम अग्नि को समर्पित करेंगे खीर बताशे जो भी चीज़े आप चढ़ाना चाहते है। वो हम इस पवित्र अग्नि में अर्पण करेंगे सभी चीज़े अग्नि में चढ़ाते समय मन में ॐ हीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः इस मन्त्र का जाप करेंगे। सिवाये तीन कौड़ियों के गोमती चक्र, पांच रत्न, लक्ष्मी कौड़ी, दक्षणावर्ती शंख, मोती शंख इन सभी चीज़ो को हम अग्नि को समर्पित नहीं करेंगे। बल्कि लक्ष्मी पूजन के बाद इन्हे अपनी तिजोरी में संभल कर रहेंगे। इसके बाद जो भी कॉपी किताब रखी थी पूजा में उनके ऊपर स्वस्तिक बनायेगे श्रीं लिखेंगे और ॐ लिखेंगे और इस कॉपी में अपने पुरे साल का हिसाब कितबा इसमें लिखेंगे। इस तरह से हम लक्ष्मी जी की पूजा का हम समापन करेंगे लक्ष्मी जी की आरती के साथ। लक्ष्मी जी पूजा के बाद कुबेर जी की मूर्ति उठाकर वापस से हम उत्तर दिशा में रख देंगे।