
Anuranjinee Gupta | बिना बात की बहस से बचे
आज का विषय है बीना बात की बेहस से कैसे बचेंगे :-
आज का विषय है बीना बात की बेहस से कैसे बच्चा जाए। अगर आपको लगता है की कोई बीना बात के आपसे बेहस किये जा रहा है और आप रोक ही नहीं पाते है अपने आपको बीना बात की बेहस करने से आपकी ऊर्जा आपका समय और आपका मन खराब तो किस तरह से बचा जाए।

मूल मन्त्र:-
आज मैं आपको मूल मन्त्र देने वाली हु “क्या फायदा ” अब इसका मतलब मैं आपको समझाऊगी। जब भी आप कोई बात बोलने जा रहे हो कोई भी चाहे लड़ाई हो रही हो या नहीं हो रही हो। आप किसी वाद विवाद में हो या ना हो। आप अपने आपसे दो मिनट रुक कर पूछना जो मैं अब बोलने जा रहा हु उसका क्या फायदा। बहुत लोग बोलेगे ऐसा थोड़ी ना होता है, हा ऐसा ही होता है। अपना शब्द खर्च करने से पहले सोचना क्या मेरे इस शब्द को ख़र्च करने का कोई फायदा होगा या नहीं होगा।
क्या और कब सोच समझ कर बोले:-
हमको पता होता है उस समय पर की जो बात हम बोलने जा रहे है सामने वाले पर उस बात का कोई असर नहीं होगा क्योकि सामने वाला चिकना घड़ा है, लेकिन उसके बाउजूद हम बोलते है क्यों क्या फायदा मत बोलो जहाँ आपको पता हो की यहाँ मेरे बोलने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है वह पर अपने शब्द खर्च मत करो। अगर मैं आपसे बोलू की आप 2000 का नोट उठाओ और फाड् कर फेक दो तो क्या आप फाड दोगे। नहीं फाड़ोगे ना क्योकि बेकार तो नहीं करोगे ना तो जिस तरह से आप अपने 2000 के नोट को फाड कर बेकार नहीं कर सकते है। उसी तरह आप अपने शब्द को बेकार नहीं कर सकते। तो जहाँ आपको लगे की आप किसी ऐसी परिस्तिथि में हो वहाँ आपको लगता है की बोलने का फायदा है सामने वाला आपकी बाते सुनने के इच्छुक है। और जो आप बोल रहे उससे सामने वाले का और आपका भी फायदा है सिर्फ तभी बोलिए। आपके शब्द इतने मामूली नहीं है,इन्हे कीमती बनाइए। सिर्फ वही खर्च करिये जहाँ फायदा हो। आपकी ज़िंदगी में से 99 प्रतिशत लड़ाईया खत्म हो जाएगी।
बोलने से पहले सोचे:-
हमेशा बोलने से पहले सोचो क्या फायदा अगर लगे की फायदा है तो बोलो अगर लगे की फायदा है तो बोलो और अगर लगे की कोई फायदा नहीं है तो अपना मुँह बंद कर लो। अपने शब्दों पर लगाम लगाओ। जैसे की क्या होता है हम सड़क से जा रहे है और किसीने हमे क्रॉस कर दिया तो हमारे मुँह से कई बार बहुत कुछ गलत शब्द निकल जाते है। लेकिन वो सब बोल जाते है हम तो क्या हम दो मिनट रूककर सोचते है की क्या फायदा। क्या ऐसा बोलने से उसको सुनाई दिया नहीं सुनाई दिया और अगर सुनाई दे भी जाता तो क्या आप इतने महान हस्ती हो की वो आपसे सुनके सुधर जाता और अगर सुधर भी जाता तो भी आपका क्या फायदा। क्या हमने कभी सोचा है की हम जो ये बाते बोल है लड़ाई या गुस्से में बोल रहे है उनका कुछ फायदा है। हम अपने घर वालो की बाहर कई बार बुराई करते है कोई फायदा है। क्या वो बाहर वाले लोग आपके घर में आके आपकी परेशानियों को खत्म करेंगे। हमेशा सोचो ये एक शब्द की क्या फायदा है मूल मन्त्र बना लो मुँह से शब्द निकालने से पहले सोचो की क्या फायदा। मैं लड़ने के लिए मना नहीं करती लड़ो लेकिन वहाँ जहाँ फायदा हो जब उस लड़ाई का कोई मतलब ही नहीं तो लड़ने का क्या फायदा। अगर आपका फायदा नहीं होता है तो ऐसी लड़ाइयों को नजरअंदाज करना शुरू कर दो। अपनी समस्याओ का बार बार ढ़िढोरा मत पीटो क्योकि जिनके सामने आप ढिढोरा पिट रहे है। वो आपकी समस्या का समाधान नहीं कर सकते। अपनी समस्या बतानी है तो उन लोग को बताओ जो क्षमता रखते है आपकी समस्या सुलझाने की लेकिन समस्या पता है क्या होती है की हम सिर्फ उन्ही लोगो से बात करते है जिनके पास हमारी समस्या का समाधान नहीं होता है। जब भी आप आगे से कभी भी कुछ बोलना तो मूल्यांकन कर लेना की क्या फायदा अगर फायदा है तो बोलो, लड़ो , चीखो, चिल्लाओ लेकिन जब लगे की कोई फायदा ही नहीं है तो चुप रो ना बोलो , ना चोखो , ना चिल्लाओ और ना अपनी ऊर्जा खर्च करो। अपनी ऊर्जा संभालकर रखो फायदे के लिए।